Hindi poetry on religious violence - हर एक बात पर बात मज़हब की अच्छी नहीं लगती
Ghazal for every true indian ...
हर एक बात पर बात मज़हब की
अच्छी नहीं लगती ।
घरों में मोहब्बत अच्छी लगती है
सियासत अच्छी नहीं लगती ।।
मै हिन्दू हूँ तुम मुसलमान हो
बात ये एकदम सही है लेकिन
बात ये मंदिरों- मस्जिद की है
सड़क पर अच्छी नहीं लगती ।।
जला है घर कोई जब भी
तो हर माँ बाप रोये हैं ।
करें क्या माँ बाप कोई हो उन्हें
बच्चों की लाशें अच्छी नहीं लगती ।।
कोई मन्दिर अगर लूटे
या कोई मस्जिद तबाह कर दे ।
ये सब उसकी खिलाफत है
ये खिलाफत अच्छी नहीं लगती ।।
इंसानियत का जो भी दुश्मन है
वो ना हिन्दू है ना मुस्लिम है ।
इंसान की इंसान से नफरत "राणा"
मुझे अच्छी नहीं लगती
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ये सब उसकी खिलाफत है
ये खिलाफत अच्छी नहीं लगती ।।
इंसानियत का जो भी दुश्मन है
वो ना हिन्दू है ना मुस्लिम है ।
इंसान की इंसान से नफरत "राणा"
मुझे अच्छी नहीं लगती
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* सियासत - राजनीति
* उसकी - भगवान ,अल्लाह
Mazhab nahin sikhaata aapas main bair rakhna
Mazhab nahin sikhaata aapas main bair rakhna
Hindi hain hum, vatan hain hindostan humara ...
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